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Friday, August 25, 2017

वाकशूर नहीं

वाकशूर नहीं ,कर्मशूर बनो ! वाणी का संयम और कर्म का प्रभाव इतना होना चाहिए की व्यक्ति आदर्श बन जाए ! जब आपका व्यवहार बोलने लग जाता हे तो उसका आनन्द सर्वप्रथम स्वंय को ही आता है !

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